Wednesday, 19 April 2017

बायकोचे श्लोक

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बायकोचे श्लोक :
*नक्की वाच.. लग्न करण्याआधी.. पुन्हा फसण्या आधी*

मना सज्जना केर वारे करावे
पहाटे भल्या रोज पाणी भरावे
धुवावी अशी घासघासून लादी
पसारा नको आवरा नीट गादी

मना सज्जना तोच राणी उठावी
तिची त्याक्षणी जीभ वेगे सुटावी
चहा पाजुनी थंड डोके करावे
पती चांगला नाव ऐसे मिळावे

त्वरेने पुन्हा भात पोळी करावी
विळी घेउनी योग्य भाजी चिरावी
डबा रोजचा एक जैसा नसावा
शिरा न्याहरीला जरूरी असावा

प्रभाते मनी बायकोला भजावे
तरी स्वल्प पैसेच खर्चा मिळावे
पगारास हाती तिच्या सोपवावे
कमावून जास्ती तिला तोषवावे

तिचे पाय रात्री जरासे चुरावे
माका तेल ते चोळुनी जे मुरावे
निजायास गादी उशी शाल द्यावी
अशी चाकरी नित्य संपन्न व्हावी

नको रे मना बोल ते बायकोचे
असे की जणू बाण छातीत टोचे
तिच्या ह्या जिव्हा कोण घाले लगाम
*अश्या शूरवीरा हजारो सलाम*

अशी बायको ही कशी आवरावी
तिची भ्रष्ट बुध्दी कशी सावरावी
कुणी थोर तो काय सांगेल युक्ती
तया पावलांची शिरी लावु माती

कसा जीवघेणा अघोरीच त्रास
सुखाचा ठरे त्यापरी स्वर्गवास
तुम्हा सांगतो नीट ध्यानी धरावे
*मरावे परी लग्न जरुर  करावे*

-जय जय पतीवीर समर्थ

Sunday, 16 April 2017

वेळ

*वेळ..*
बाळा खरचं मला वेळ असता
तर मी तो तुला दिला असता..
मग तुझ्या मनात माझ्याबद्दल
इतका कधी राग उरला नसता..

सकाळी जर लवकर थोडा
अलार्म झाला असता,
तुला घेऊन सोबत माँनिग
फेरफटका केला असता..

ब्रेकफास्ट करत तुझ्या
सोबत थांबलो ही असतो
ट्रेन पकडण्यासाठी मग
मात्र मी चुकलो असतो..

आहे मोबाईल सोबत पण
तुझ्याशी गप्पा मारत नसतो
कारण बाॅस माझ्याकडेच
पूर्णतः लक्ष ठेऊन असतो

घरी येण्या रोज ठाऊक तुला
मला उशिरच किती व्हायचा
गोष्ट सांगुन कुशीत झोपवण्यास
कधी वेळच नाही उरायचा

शाळेत प्रत्येक पालक मिटींगला
मात्र न चुकता यायचो ना मी
तुझा बैंच कोणता आणि मित्र कोण
विचारायचे विसरूनच गेलो मी

बाळा खरचं मला वेळ असता
तर मी तो तुला दिला असता..
मग पुर्ण नाव सांगताना मध्यावर
... तुझा चेहरा पडला नसता..

सहज सुचलेली..
निर्मल चरणी अर्पण 💐😇💞🌎

✍डाॅ. शैलेश कुमार सहजयोगी
पारिवारिक जीवन समुपदेशक 😇

Wednesday, 12 April 2017

सहजयोग ध्यान के 100 लाभः मनोवैज्ञानिक लाभः

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सहजयोग ध्यान के 100 लाभः
मनोवैज्ञानिक लाभः
1. इससे शरीर में औक्सीजन की खपत कम हो जाती है।
2. इससे श्वसन प्रक्रिया की दर में कमी आ जाती है।
3. इससे रक्त संचार में बृद्धि हो जाती है और दिल
की धड़कन की दर भी कम हो जाती है।
4. इससे व्यायाम करने की क्षमता बढ़ जाती है।
5. शारीरिक विश्राम का स्तर बढ़ जाता है।
6. उच्च रक्तचाप वाले लोगों के लिये अत्यंत लाभदायक है।
7. रक्त में लैक्टेट की कमी के कारण
एंग्जाइटी या उद्विग्नता कम हो जाती है।
8. मांसपेशियों के तनाव में कमी आ जाती है।
9. गठिया या एलर्जी जैसे पुराने रोगों में आरामदायक है।
11. औपरेशन के बाद होने वाली परेशानियों में कमी आ
जाती है।
12. रोग प्रतिरोधी क्षमता बढ़ा देता है।
13. वाइरस की गतिविधियों औरभावनात्मक
परेशानियों को कम कर देता है।
15. वजन बढ़ाने में सहायता करता है।
16. फ्री रेडिकल में कमी आ जाती है और टिश्यू कम नष्ट
होता है।
17. त्वचा की प्रतिरोधी क्षमता बढ़ जाती है।
18. कोलेस्ट्रौल के स्तर में कमी आ जाती है और
कार्डियोवैस्कुलर रोगों के खतरों में कमी आ जाती है।
19. फेफड़ों में वायु का प्रवाह बढ़ जाता है और सांस लेने में
सरलता हो जाती है।
20. आयु वृद्धि की प्रक्रिया में कमी आ जाती है।
21. DHEAS (Dehydroepiandrosterone)के स्तर में
कमी आ जाती है।
22. जीर्ण रोगों में होने वाले दर्द में कमी आ जाती है।
23. पसीना कम आता है।
24. सिरदर्द और माइग्रेन ठीक हो जाता है।
25. मस्तिष्क की कार्यशैली व्यवस्थित हो जाती है।
26. अधिक दवाओं आदि की जरूरत नहीं रह जाती है।
27. ऊर्जा की कम खपत होती है।
28. खेल आदि गतिविधियों मेंमन लगने लगता है।
29. कम ऊर्जा की खपत होती है।
30. अस्थमा या दमा रोग में लाभ होता है।
31. खेल कूद संबंधी गतिविधियों में क्षमता सेअधिक
सफलता प्राप्त होती है।
32. आपका वजन यथोचित रहता है।
33. हमारी अंतस्त्रावी प्रणाली को ठीक करता है।
34. हमारे तंत्रिका तंत्र को ठीक रखता है।
35. मस्तिष्क की विध्युत तरंगों की गतिविधि में स्थाई एवं
लाभकारी परिवर्तन आने लगते हैं।
36. बांझपन ठीक हो जाता है ( बांझपन से होने वाले तनाव से
नियमित डिंबोत्सर्जन में सहायक हार्मोन्स प्रभावी हो जाते
है।
37. आत्मविश्वास में वृद्धि होने लगती है।
38. सेरिटोनिन का स्तर बढ़ जाता है जो व्यवहार व मानसिक
अवस्था को प्रभावित करता है।
39. डर व भय आदि को समाप्त करदेता है।
40. अपने विचारों पर नियंत्रण होने लगता है।
41. ध्यान केंद्रित करने में व मन को एकाग्र करने में
सहायता करता है।
42. सृजनात्मकता में वृद्धि होती है।
43. मस्तिष्क की तरंगों की संबद्धता में वृद्धि होनेलगती है।
44. नवजीवन का संचार होता प्रतीत होता है।
45. स्मृति और सीखने की क्षमता में सुधार होने लगता है।
46. भावनात्मक स्थायित्व सुधरने लगता है।
47. आपसी संबंधों में सुधारआने लगता है। मानसिक आयु बढ़ने
की गति भी धीमी हो जाती है।
48. बुरी आदतें स्वयमेव छूटजाती हैं।
49. अंतर्ज्ञान या intuition विकसित होने लगता है।
50. उत्पादकता में वृद्धि होने लगती है।
51. घर या कार्यस्थल पर आपसी संबंधों में सुधार आने
लगता है।
52. किसी भी परिस्थिति से निपटने में दृष्टिकोण
मेंव्यापकता आ जाती है।
53. व्यर्थ के मुद्दों की अनदेखी करना आ जाता है।
54. जटिल समस्याओं का समाधान करना आ जाता है।
55. चरित्र में शुद्धता आ जाती है।
56. इच्छाशक्ति में वृद्धि हो जाती है।
57. मस्तिष्क के दोनों गोलार्धों के बीच संवाद में
वृद्धि हो जाती है या उनमें सामंजस्य स्थापित हो जाता है।
58. किसी भी तनावपूर्ण स्थिति में तीव्रता और प्रभावपूर्ण
ढंग से प्रतिक्रिया करना आ जाता है।
59. व्यक्ति की अवधारणात्मक क्षमता व गत्यात्मक
कार्यनिष्पादन में वृद्धि होती है।
60. बुद्धि विकास की दर बढ़ जाती है।
61. अपने कार्य से संतुष्टि( job satisfaction) मिलती है।
62. अपने प्रिय लोगों के साथ संबंधों में मधुरता में
वृद्धि होती है।
63. संभावित मानसिक रोगों में कमी आती है।
64. सामाजिक व्यवहार में सुधार आने लगता है।
65. व्यवहार की उग्रता में भी कमी आती है।
66. धूम्रपान व मदिरापान कीआदत कम करने में सहायक है।
67. दवाओं पर निर्भरता कम हो जाती है और उनकी जरूरत
भी कम पड़ती है।
68. नींद की कमी से उबरने के लिये अधिक नींद
की आवश्यकता नहीं पड़ती है।
69. नींद आने के लिये कम समय की आवश्यकता पड़ती है।
70. उत्तरदायित्व की भावना में वृद्धि होती है।
71. सड़क चलते लड़ाई झगड़े कम होते हैं।
72. व्यर्थ के विचारों में कमी आती है।
73. चिंता करने की प्रवृत्ति में कमी आती है।
74. सुनने की क्षमता में वृद्धि होती है और लोगों के
प्रति हमदर्दी में वृद्धि भी होती है।
75. सहनशक्ति में वृद्धि होती है।
76. सही निर्णय करने में सहायक होता है।
77. रचनात्मक तरीके से कार्य करने के लिए मानसिक संतुलन
देता है।
78. व्यक्तित्व को संतुलन प्रदान करता है।
79. भावनात्मक परिपक्वता देता है।
ध्यान से आध्यात्मिक लाभः
80. चीजों को सही परिप्रेक्ष्य में रखने में मदद करता है।
81. मन को शांति और प्रसन्नता प्रदान करता है।
82. आपको अपने जीवन का उद्देश्य मालूम होने लगताहै।
83. स्व-यथार्थीकरण में वृद्धि होती है।
84. दूसरों के लिये करूणा में वृद्धि होती है।
85. विवेक में वृद्धि होती है।
86. अपने व दूसरों के विषय में गहन समझ विकसित होती है।
87. शरीर, मन और आत्मा को एकरूप करता है।
88. क्षमा की शक्ति में वृद्धि होती है।
89. स्वयं को स्वीकार करने की शक्ति बढ़ती है।
90. जीवन के प्रति आपका दृष्टिकोण बदलने लगता है।
91. परमात्मा के साथ एक गहन संबंध का सृजन होता है।
92. गहन आध्यात्मिक विश्रांति मिलती है।
93. जीवन में समक्रमिकता ( synchronization)बढ़
जाती है।
94. व्यक्ति आत्मोन्मुख हो जाता है।
95. व्यक्ति वर्तमान में जीने लगता है।
96. सब लोगों से प्रेम करने की क्षमता में वृद्धि होने
लगती है।
97. अहं व चेतना के परे देखने की शक्ति बढ़ जाती है।
98. सबके लिये एकता का भाव जागृत हो जाता है।
99. आपकी चेतना जागृत हो जाती है और आप ज्ञानी बन
जाते हैं।
100. ज्ञान की एक आंतरिक भावना का अनुभव होने
लगता है।

Monday, 10 April 2017

विसर

*विसर...*

कधी हे विसरतो
कधी ते विसरतो
बाकी सारे आठवते
महत्वाचे ते विसरतो

लवकर उठणे विसरतो
नव्याने जगणे विसरतो
पाहतो आरसा तरीही
स्व:ला भेटणे विसरतो

जगण्याची, कामाची घाई
आवश्यक काय ते विसरतो
कामाच्या ढिगाऱ्याखाली
माझे मीपण, कुटुंब विसरतो

क्षण मिळता थोडे निवांत,
भविष्याच्या कोशात विसवतो
थकुनी जेव्हा थांबतो श्वास
माझे अस्तित्व,प्रायोजन विसरतो

सहजच सुचलेली...
*पवित्र निर्मल चरणी अर्पण..* 💐🌹💐🌹💐🌹💐🌹💐🌹🌺

डाॅ. शैलेश कुमार सहजयोगी😇🙏🌎💞

Tuesday, 4 April 2017

मी

*मी...*

फुकाचाच आता शरीरी श्वास वाहे
अंतरी बाहेरी दाखवा, मी कुठे आहे

जरी दिसतो मी एक त्रिमिती आकार
त्यास क्षणिक व्याधी अनंत विकार

तरीही आत्मा अस्पर्शित शुध्द आहे
नित्य सहजतेने, चैतन्यात न्हात आहे

पकडण्यास असमर्थ, वारा मंद आहे
उधळीत आता मी, जगी सुगंध आहे

प्रकाश ही आता मज भेदून जाऊपाहे
त्यास ठावे आमचे अस्तित्व एक आहे

घड्याळ ही धावी करुनी संथ वेळ,
सुरु असे माझा,त्याचा अनंताचा खेळ

सहज सुचलेली..

डाॅ. शैलेश कुमार सहजयोगी 😇🙏
*निर्मल चरणी अर्पण..*💞🌷🌸🌺💐🌹🌻

Saturday, 1 April 2017

सहजच

*सहजच*...

एक जीव जन्माआधी अस्वस्थसा होता..
पृथ्वीवरती जन्म घेण्या आतुरलेला होता..

पाहुन त्याची तळमळ चुळबुळ परमपिता प्रगटला
"इतक्यां लवकर जन्म घेण्याची घाई का रे तुला?"

लक्ष नव्हते जरी त्याचे, उत्तर दिले त्याने उगाचच
"ठाऊक नाही परंतु मजला ओढ लागली सहजच"

जन्म घेऊनी धरेवरती, रमला नाही तो कोणात, लोकात समाजात..
सतत असे तो मग्न पुस्तकात, निसर्गात आणि स्वत:त..

ध्यान साधना-ज्ञानसाधना नित्यक्रम  असे त्याचा
स्व:अर्पण समर्पण करत भाव जाणे आत्म्याचा

कल्पनेत ही जे कोणी लिहले नव्हते, जे थोड्यांनीच स्व: जाणीले होते
मातृकृपेने त्याने अनुभवले तत्क्षण
मग कळले त्यास जन्म अस्वस्थ कारण

जाणती सर्व तो आत्मा आपण
तरी सांगतो तुम्हा उगाचच
शब्द सुचले म्हणून लिहले सर्व
प्रेम प्रवाहित भाव "सहजच.."

सहज तत्क्षण सुचलेली..
निर्मल चरणी अर्पण.. 🌺🌸🌷🌼🌻🥀🌹💐

✍डाॅ. शैलेश कुमार सहजयोगी 😇💞🌎