*आज की कहानी*
सोचा आज से सोने से पहले तुम्हे एक कहानी सुनाया करु... जिससे तुम्हे तो नहीं पता... पर मुझे नींद अच्छी आएगी...
अभी के दिवाली आफिस के सहकर्मी के साथ बातचीत का वक्त मिला...वैसे तो हम काम की कम और दुनियाभर की बातें ज्यादा करते है...
उसने थोडीसी नाराजगी दर्शाते हुए कहा "क्या दोस्त.. दिवाली के वक्त दावत पर घर नहीं बुलाया"
उस वक्त मुझे पता चला यह मुहबोला दोस्त मुफ्त का चंदन घिसने की तैयारियों में जुटा है...
मैने कहा.. कि" व्हाटस अप पर तुझे मुबारक बात भी भेजी थी और दावत भी... देखी नहीं क्या? "
वह बोला" देखा इसलिए तो पूछ रहा हुं... इतने व्यंजन की फोटो भेजी थी... बुलाता तो चख भी लेता "
मैंने कहा" वह तो फारवर्ड फोटो थे... मेरे सामने के घर में जो परिवार रहता है... उन्होंने दिवाली की मुबारक बात देने के लिए भेजी थी... "
एक जमाना हुआ अपनों के गले लगे हुए... हर कोई सिर्फ तसबीर दिखाता है...
अच्छा हुआ मुबारकबात मुफ्त में होती है यहाँ पर...
वर्ना त्योहार ही नहीं रिश्ते भी खत्म हो जाते यहां पर... 😇
डॉ. शैलेशकुमार सहजयोगी 😇🙏
No comments:
Post a Comment