Monday, 7 November 2016

जब पापा घर आए

*जब पापा घर आए*...

सुबह उठा थोड़ी देर से ही...
देखा माॅं घर सवार रही थी।
हल्के हल्के सहलाकर मुझे
लंबी नींद से जगा रही थी।

उठकर मैं खुद की ही कामों
में मश्गुल बनता चला गया।
जो खुद को सही लगा  वैसे
समय बिताता चला गया।

रोजमर्रा का स्नान, 5 मिनट ध्यान, करता हुं जलक्रीया.. मशीन समान,
सोशल app सामुहिकता मैं घीरा रहुं
चैतन्य सामुहिकता से थोड़ा अनजान

ना सिखा कुछ ,ना जाना कुछ खुद,
ना दिया आत्म उन्नति पर ध्यान
अपने समय का, अपनी शक्ति का
सिर्फ अपने लिए कर दिया अवमान

माँ ने प्यार से समझाया, ओर टोका
समयपर अपनी जिम्मेदारि को जान
जब पापा घरपर आएंगे, पता चलेगा
तांडव होगा मुश्किल मैं पडेगी जान

*Dr. Shailesh sahajayogi*
😇🙏😇🙏😇

अभी भी देर नहीं हुई...
पापा आने से पहले, करले पुरा काम जिससे आए उनके चेहरे पर मुस्कान
😇🙌🙏

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