*मेरा अविस्मरणीय अनुभव*
"अभी मैं *द गोस्पेल आॅफ जाॅन* चित्रपट में *येशु भगवान को जल द्राक्षरस में परिवर्तित* करते देख रहा था.. तभी मुझे एक घटना जो मेरे साथ घटित हो चुकी है याद आई..
*2007 या 2008 साल* के करीब मैं सहजयोग कार्य में काफी व्यस्त रहता था.. जब मैं लाईफ इंटर्नल ट्रस्ट के आॅफीस कुछ काम संदर्भ में गया था तब वहां के एक स्टाफ ने मुझे नजदीक बुलाकर मेरे कान में कहा.. *यह श्री माताजी ने आपके लिए भेजा है..*
और हाथ में एक *पानी की बोतल* थमा दी..
मैंने पहले भी यह अनुभव किया था.. जब कभी *श्रीमाताजीं पुजा के पश्चात जिस निवासस्थान में ठहरती*.. हम वहा जा पहुचते थें..
किंतु मिलने की इजाजत न होने के वजह से हम बाहर गेटपर माँ के निवासप्रती देखते ध्यान करते.. तो *कभी कुछ खाने के लिये और कभी पिने का पानी माँ अंदर से भेजा करती*.. और हम उसका आनंद उठाते..
लेकिन इस वक्त बात कुछ और थी.. उस बोतल को में घर ले आया.. माँ का आभार मानते हुए उस जल को मुंह से लगाया और *पहले ही घुंट में कुछ जबर्दस्त महसूस हुआ*..
मानो.. बोतल का ढक्कन नहीं *सहस्त्रार का ढक्कन खुल गया हो और इतने जोर से चैतन्य सहस्त्रार से बहने लगा की.. समय और विचार दोनों थम गये हो*..
यह अवस्था पुरे दिन के लिए घटित हो रही थी..
उसका *स्वाद लिंबु के रस समान* था.. बाद में पता चला कि वह अमृत *माँने अपने हाथो से भोजन पश्चात बनाया था*..
और जब जब में वह अम्रृतजल पीता.. समान अनुभुती होती थी.. बाद में हमारे सेंटर को यह बात उस लाईफ इंटर्नल आॅफीस स्टाफ से पता चली और मैंने वह बाकी *आधी बोतल सेंटर में देदी*..
इस घटना के बाद मेरे व्यक्तिगत जिंदगी में काफी तकलीफे आई.. लेकीन *श्री माताजी के कृपा से उनके उपर का विश्वास हमेशा बना रहा. और सभी तकलीफे आनंद में परिवर्तित होने लगी*..
श्री माताजी.. *आपने हमें.. हम सबको अपना पुत्र चुना इसलिए हम आपके पुर्ण ह्दय से ऋणी हैं.. आपके कार्य तथा स्वप्न को पुरा करने की हमे क्षमता प्रदान करें..*
अनुभवीत..
*डॉ. शैलेशकुमार सहजयोगी.😇*
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