हमें क्या खाना चाहिए...
1.हमारे यहाँ जो लोकल फल होते हैं वह... फिर वह केला.. हो या आम या फिर अॅपल.. अगर हम महाराष्ट्र में रहते हैं तो हमें आम के सिझन में आम खाने चाहिए... ना की कश्मीर के अॅपल.. कुदरत काफी अच्छी तरह जानती है के हमारे लिए क्या बेहतर है।
2.भोजन में हमें हमारे शरीर अनुरूप खाना चाहिए। चावल, दाल, रोटी, हरी सब्जी, सलाद हमारे पुरखों से खाते आ रहे हैं। यही विश्वभर में संपूर्ण पुरक भोजन माना जाता है। उसपर घी की थोडी माञा हो जिससे स्वास्थ्य बना रहे और cholesterol घटे।
3.दिनभर में हमारे शरीर को ऊर्जा की खपत अनुसार भोजन की व्यवस्था होनी चाहिए। हमें सुबह अच्छा नाश्ता करना चाहिए जिसमें हमारे संस्कृति अनुसार व्यंजन हो। जेसे के महाराष्ट्र में पोहा, उपमा.. गुजरात में जिलेबी-फाफडा, दक्षिण में डोसा.. इत्यादी.. इसमें थोड़े नारियल का इस्तेमाल करे जिसमें 0%cholesterol होता है।
4.जब तक दात है.. तब तक तो हम ज्युस के बजाय फल और सब्जियां चबाकर खा ही सकते हैं।
5.कच्चा बीज से बना तेल, चकाचक रिफाइंड या वनस्पती तेल, olive oil / rice bran oil से बेहतर है।
क्योंकि वहीं हमारे घर में सदियों से इस्तेमाल किया जाता था।
6. Calories से ज्यादा पोषण पर ध्यान देना चाहिए।
7.सडी हुई चीजों को कभी ना खाए। या उस पध्दति से बनाए गए व्यंजन जैसे कि केक, ब्रेड या फ्रोझन पदार्थ ।
8.भोजन में थोड़ा तेल होना चाहिए। बारिश में तेल में तले व्यंजन शरीर की जरूरत है।
9.सुबह सुबह चाय ना पिए। दिन में 2-3 कप ही चाय या कॉफी का सेवन करें। भुक लगने पर भी या भोजन पश्चात इनका ना करें।
10.say no to green tea... No green, yellow, purple, blue tea..
11.पारंपारिक व्यंजन खायें। जितनी भुक हो उतना खाये। किसी ओर की नहीं, बल्कि आप के पेट कि अंदरूनी जरूरत को समझ कर भोजन करें।
12. गन्ने का रस सबसे बढि़या तरिके से शरीर को डिटॉकसीफाय करता हैं। किसी भी प्रकार के ready to cook food या packed ready food ना खाए ।
भोजन से स्वभाव बनता है और स्वभाव से मानसिकता..
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डॉ. शैलेश कुमार सहजयोगी लिखित "transform 360°" से सारांश💐
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