जय श्री माताजी,
हमें तत्व को समझना होगा। (the pure essence)
1.सबसे पहले श्री माताजी हमारे लिए जो कहती हैं, उनके कहने का तात्पर्य क्या है?
श्री माताजी ने बताया है कि आत्मसाक्षात्कार सबके लिए नहीं है, आपको मांगना होगा।
उनके अनुसार आप चैतन्य हर किसी को दे सकते हैं, इन्सान को, पेड़ों को..कुंडलिनी हर किसी की चढ़ा सकतें हैं पर उस व्यक्ति को उसे समझने के लिए आत्मसाक्षात्कार जरुरी है ज्यो की वैयक्तिक है।
हम जिस दुनिया में रहते हैं वहा नकारात्मक ऊर्जा तो रहेगी ही, हम उससे भागते नहीं रह सकते। हमे उसका सामना करना होगा। अगुरु या कुगुरु की चीजें कहकर कितनी चीजे नकारेंगे?
श्री माताजीने बताया कि रावण लोगों के नाभी में प्रवेश कर उन्हें अपने बस मै कर लेता था। लेकिन फिर भी श्री राम ने युध्द पुर्व उसे आदर से बुलाकर उसके हाथों दक्षिण में शिवलिंग की स्थापना करवायी।
हम नकारात्मकता को त्याग नहीं सकते बल्कि उसमे परिवर्तन करना ही हमारा सहजयोग हैं।
"नकारात्मक ऊर्जा को चीजों से या व्यक्ति से या वातावरण से हटाकर उसका चैतन्य से योग सहजता से, बिना डरे या भ्रमित हुए घटित कराना हि मेरे द्रुष्टी से... सहजयोग... हैं।
डॉ. शैलेश कुमार सहजयोगी 💐💐💐
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