Wednesday, 27 July 2016

Sahastrar day

मेरे अवतरण कि कहानी मुझे आपको बतानी है


"......................' सहस्त्रार दिवस' के विषय में मेरे अवतरण से भी बहुत समय पूर्व निर्णय कर लिया गया था। इसकी कहानी मुझे आपको बतानी है । पैंतीस करोड़ देवी - देवताओं ने स्वर्ग में बहुत बड़ी सभा की , यह निर्णय करने के लिए कि क्या किया जाए ।सभी देवी - देवता वहाँ उपस्थित थे। सहस्त्रार को खोलना मानव को दिया जाने वाला सर्वश्रेष्ठ वरदान है- मानव को आत्मा और परमात्मा के सच्चे ज्ञान के प्रति चेतना एवं उनके अज्ञानान्ध्कार को दूर करना और यह कार्य बहुत ही शीघ्र किया जाना था। तो सभी देवी - देवताओं ने प्रार्थना की , अब मुझे , आदिशक्ति को , जन्म लेना है।____ये कार्य छ: मई १९७० से पूर्व होना आवश्यक था क्योंकि उस वर्ष का यह दिन प्रलय का दिन था । अन्तिम समय पर , पाँच  मई १९७० को यह कार्य किया गया । इस सबका निर्णय पहले ही कर लिया गया था और सभी देवी - देवताओं को उनका कार्य बता दिया गया था । देवता अत्यन्त कार्य-कुशल एवं आज्ञाकारी हैं, मुझे भली-भाँति जानते हैं, मेरे बाल की नोक तक पहचानते हैं।
.....................सभी में मैंने कहा कि, "सहस्त्रार पर मुझे महामाया बनना होगा, महामाया होना होगा, मुझे कुछ ऐसा होना होगा , मुझे कुछ ऐसा बनना होगा ताकि देवताओं के अतिरिक्त कोई मुझे पहचान न सके। अब इस महामाया को पृथ्वी  पर आना था । अपने वास्तविक रूप में आदिशक्ति को नहीं। आदिशक्ति का शुद्ध रूप तो बहुत बड़ी बात है, अतः आदिशक्ति ने महामाया का आवरण पहन लिया। श्री आदिशक्ति ने कहा था कि," मैं मानव मात्र की माँ के रूप में , एक सर्वमान्य व्यक्ति के रूप में पृथ्वी पर जाऊँगी, जिसे जीवन की सभी चिंतायें, उदासियाँ और खुशियाँ हों मैं हर स्थिति को सहन करुँगी " श्री आदिशक्ति की यह घोषणा देवी - देवताओं के लिए वरदान थी ।"

----🌷 H.H.SHRI MATAJI 🌷--- इटली, ८.५.१९८८.

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